चार्टेड वाले के पास तीन चार्टेड हैं… तीनों बसों के ड्राईवरों के पास मोबाइल भी हैं…जब कभी ट्रैफिक जाम होता है तो पहले चक्कर लगाने वाली बस पीछे आ रही बसों को रास्ता बदलने की सूचना दे देती हैं।
इसी तरह किसी सवारी को बसों का टाइम टेबल और समय में हेरा-फेरी का पता करना हो तो भी ड्राईवर के मोबाइल की घंटी बजती है... पर मोबाइल सबसे जायदा कारगर होता है…ट्रैफिक पुलिस आगाह करने के लिए…वैसे तो हर चौक और लाल बत्ती पर ट्रैफिक वालों की गरम की जाती है…पर जैसे सेण्टर में ओपोसिशन को रूलिंग पार्टी की हर बात में मीनमेख निकलने की आदत से अपने विपक्षी धर्म को बचाए रखती है ...उसी तरह पुलिस वाले नियमित रूप से हफ्ता लेने पर भी अपनी राह चलते वाहनों को डंडा दिखाने से बाज नही आते....उनकी इसी वक्त-बेवक्त सीटी बजाने की आदत की शिकार बस वाले भी ट्रैफिक पुलिस से सामना होते हे पीछे से आ रही बसों को संभलकर चलने का निर्देश दे देते हैं....और कंडक्टर को गेट पर लटक रही सवारियों को अन्दर करने की हिदायत. इसी लीपा-पोती में बोनट पर बैठी लेडीज सवारियां भी खरी होकर यात्रा करती हैं।
Tuesday, September 16, 2008
बस- सवारी-ट्रैफिक पुलिस और मोबाइल महिमा
मैं रोजाना चार्टेड से दफ्तर आती जाती हूँ…कहने भर की चार्टेड है। उसमें डेली पेमेंट करते हैं। शनिवार और इतवार ऑफ़ होने की वज़ह से बस फेयर की विकली सेविंग हो जाती है । इस फायदे के साथ नुकसान यह है की ब्लू लाइन की तरह आवाज़ लगा लगा कर ITO–CGO की सवारियां भरी जाती हैं. अगर लोधी रोड , UPSE, पटियाला हाउस के सरकारी मुलाजिमों को बस भरी होती है तो , डेल्ही गेट स्थित LNJP, पन्त के मरीजो और तीमारदारों की भी खिदमत करती है।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment