Thursday, May 8, 2008

भविष्य की उड़ान, कल्पना के संग

एनीमेशन में दिन-ब-दिन मजबूत होती रोजगार अवसरों की संभावना को हमारी साथी अपर्णा कुमुद के साथ सांझा किया है श्री गौतम कक्कर, निदेशक, एरेना मल्टीमीडिया ने-

आप के क्षेत्र में आप की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि आप किस चीज या बात की किस हद तक कल्पना कर सकते हैं और कल्पना को किस हद तक कम्पयूटर स्क्रीन पर उतार सकते हैं। इस क्षेत्र के दरवाजे आप के लिए 12वीं पास करते ही खुल जाते हैं। भारत सरकार का एनिमेशन के क्षेत्र में एक मात्र संस्थान मोहाली स्थित में सी-डैक है। सी-डैक में दाखिला छात्र के स्नातक में प्राप्त अंकों के आधार पर होता हैै। इसके कोर्स की फीस 55,000 हजार रुपये है।

सामान्यतः एक एनिमेशन कोर्स में कम्पयूटर की प्राथमिक जानकारियाँ, मल्टीमीडिया से जुड़ी तमाम जानकारियाँ, टेक्स्ट एडिटिंग, कम्प्यूटर ग्राफिक्स, डिजिटल ऑडियो , डिजिटल वीडियो, एनिमेशन थ्योरी, बेसिक ड्रॉइंग, स्टोरी बोर्डिंग, स्क्रिप्ट राइटिंग, डिजिटल कम्पोजिंग, 2-डी एनिमेशन, 3-डी ग्राफिक्स, मॉडलिंग और एनिमेशन, स्पेशल इफेक्ट बनाना आदि shamil है। इसी के तहत फोटोशॉप, आफ्टर इफेक्टस, 3-डी मैक्स आदि सोफ्टवेयर की जानकारी दी जाती है। डिजिटल ऑडियो एडिटिंग में ऑडियो एडिट करना, साउंड इफेक्टस बनाना आदि सिखाया जाता है।

नैसकॉम के अनुसार, अंतर्राष्ट्रीय एनिमशन उद्योग के 2009 तक जहाँ 35 बिलियन यूएस डॉलर होने की संभावना है, वहीं भारतीय एनिमेशन के 2009 तक 950 मिलियन यूएस डॉलर त क पहुँचने की संभावना है। 2009 तक भारत में एनिमेशन गेम्स का उद्योग लगभग 300 मिलियन यूएस डॉलर का हो जाएगा। भारतीय गेमिंग इंडस्ट्री के 2009 तक 300 मिलियन यूएस डॉलर हो जाने की संभावना है। वर्तमान में भारतीय एनिमेशन उद्योग में प्रारंभिक वेतन 12,000 से 20,000 रूपये प्रतिमाह है। वर्तमान में प्रतिवर्ष 20, 000 एनिमेटर्स की मांग हैै जिस के 2009 तक 30,000 प्रतिवर्ष हो जाने की संभावना है। भारतीय एनिमेशन बाजार के बढ़ने का एक कारण यहाँ प्रोडक्शन का सस्ता होना भी है। एक अमेरिकन एनिमेटर एक घंटे के लिए जहाँ 125 यूएस डॉलर लेता है वही भारतीय एनिमेटर सिर्फ 25 यूएस डॉलर प्रति घंटा लेता है। एक पूरी फ्ल्मि बनाने में अमेरिका में जहाँ 100 से 175 मिलियन डॉलर का खर्च पड़ता है, वहीं भारत में तीन घंटे की एक फ्ल्मि बनाने का खर्च केवल 15 से 25 मिलियन यूएस डॉलर पड़ता है।

अगर आप 2-डी एनिमेशन के क्षेत्र में काम करना चाहते हैं तो आप के लिए अखबारों और पत्रिकाओं के दफ्तर खुले हुए हैं। आज कल सभी अखबारों और पत्रिकाओं में केरिकेचर का इस्तेमाल बहुत ज्यादा हो रहा है। 2-डी एनिमेशन के क्षेत्र में केरिकेचर डिजाइनर, 2-डी मोदुलर , स्टोरी बोर्डर, कवर पेज डिजाइनर, कार्ड (विजिटिंग, कॉरपोरेट और ग्रीटींग्स) डिजाइनर, कॉमिक बुक्स डिजाइनर आदि के रूप में अपना करियर बनाया जा सकता है। कवर पेज डिजाइनर के तौर पर किसी पब्लिकेशन हाऊस में काम कर सकते हैं। कार्र्टून कॉमिक्स का बाजार आज इतना बड़ा हैै कि आप बतौर कॉमिक बुक डिजाइनर किसी भी बड़े कॉमिक्स हाऊस में अपनी जगह बना सकते हैं। केरिकेचर डिजाइनर के तौर पर आप किसी एडवर्टाइजिंग हाऊस मे भी काम कर सकते है। 3-डी एनिमेशन या एनिमेशन वीडियो के क्षेत्र में भविष्य रूचि रखने वाले छात्रों के लिए समाचार न्यूज चैनल, टीवी चैनल, प्रोडक्शन हाऊस, फ़िल्म प्रोडक्शन कम्पनी और एडवर्टाइजिंनग एजेन्सी के दरवाजे खुले हैं। पहले एनिमेशन का मतलब सिर्र्फ का्र्टून चैनलों से जोड़ कर देखा जाता था, पर आज इनके साथ ही डिस्कवरी चैनल, हिस्ट्री और नेशनल ज्योग्राफिक आदि चैनल भी अपने कार्यक्रमों में एनिमेशन का उम्दा उपयोग कर रहे हैं।

पिछले कुछ समय में हनुमान, लॉर्ड krishna, माई फ्रेंड गणेशा आदि एनिमेशन फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर बहुत अच्छा बिजनेस किया है। बॉलीवुड के कई जाने-माने निर्देशक भी अपनी फिल्मों में एनिमेशन का प्रयोग कर रहे हैं। यशराज फिल्मस ने इसकी शुरूआत हम-तुम से की। प्रसिद्ध फ़िल्म निर्देशक करण जौहर भी इस क्षेत्र में छलांग लगाने के लिए तैयार हैं। शेमरू और इरोस जैसी मनोरंजन कंपनियाँ भी अपना हाथ आजमाने के लिए तैयार हैं। भारतीय फिल्म उद्योग और बड़े कार्पोरेट हाऊसों की दिन-ब-दिन बढ़ती रूचि से ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि एनिमेशन और इसमें अपना कॅरियर बनाने का सपना देखने वालों का भविष्य उज्जवल है।


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