
Sunday, May 18, 2008
मीडिया विमर्श जनसंचार के सरोकारों पर केंद्रित त्रैमासिक पत्रिका

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सूरज ने अंगड़ाई ली / पहली किरण ने / अधखुली घुटी-घुटी आँखों / से काँच बगीचे का निरीक्षण किया...... चकाचौंध से चुंधिया कर उनींदी -उनींदी सी वह/ फिर सूरज में सिमट गई / दिन भर दुबकी रही....... एक म्यान में दो तलवारें कैसे रहतीं ? - सुधा ओम ढींगरा
1 comment:
aachee jankaree
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